आदिवासी से अधिक सामान्य सीटों पर बढ़े वोट...:रोजी-रोजगार और पढ़ाई के सवाल युवाओं के दिलो-दिमाग में गहरे समाए तो पलट जाएगा हवा का रुख

नौ सीटों में सात सामान्य हैं। यानी आदिवासी सीटों की तुलना में सामान्य सीटों पर ज्यादा वोट बढ़े। हुसैनाबाद के एनसीपी से जीते कमलेश सिंह, अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बिशुनपुर के झामुमो विधायक चमरा लिंडा, पार्टी से निलंबित हैं, अभी किसी दल में नहीं गए हैं। वे लोहरदगा से लोकसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ गए थे। इन 9 सीटों में इंडिया के पास तीन ही सीटें हैं। छह पर भाजपा और सहयोगी का कब्जा है। एसटी सीटों में बिशुनपुर में सबसे ज्यादा 20.14 प्रतिशत वोटर बढ़े हैं। पिछले चुनाव में यहां 47,204 मतदाता जुड़े हैं। वहीं, लोहरदगा विस सीट पर 17.50 प्रतिशत वोट की बढ़ोतरी हुई है। यानी इस बार 42,764 वोटर ज्यादा हैं। झामुमो: 2 लाख युवाओं को मिला रोजगार झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि भाजपा को बताना चाहिए कि राज्य बनने के बाद जेपीएससी 1 और 2 की नियुक्ति में हुआ घोटाला किसके कार्यकाल में हुए। आज भी सीबीआई जांच चल रही है। हेमंत सोरेन ने निजी क्षेत्रों में दो लाख से अधिक युवाओं को रोजगार दिया। लगभग एक लाख युवाओं को सरकारी पदों पर नौकरी दी। युवा फिर से हमें ही चुनेंगे। भाजपा: युवाओं को न नौकरी दी, न ही भत्ता भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने पूरे पांच साल युवाओं को ठगा है। न नौकरी दी, न ही बेरोजगारी भत्ता दिया। एक भी प्रतियोगी परीक्षा ठीक से नहीं हुई। सिर्फ पर्चे लीक होते रहे। अब इनका झूठ पकड़ में आ चुका है। युवा सरकार से काफी नाराज हैं। इस बार चुनाव में सबक सिखाएंगे। फेज-1 : जानिए...उन नौ विधानसभा सीटों का हाल जहां 5 साल में बढ़े 15 से 22%वोट, ये वोट 18 से 23 वर्ष के वोटरों के हैं रोजी-रोजगार पर एनडीए ‘इंडिया’ संविधान हर 18 साल पार युवा/युवती को वोटर मानता है। फेज-1 की 41 सीटों का हिसाब बताता है कि बीते 5 साल में 9 सीटों पर 15 से 22% वोटर बढ़े हैं। इनकी उम्र 18 से 23 वर्ष के बीच है। कई सीटों पर इस आयु वर्ग के युवा वोटरों की संख्या इतनी है, जितने वोट, जीतने वाले प्रत्याशियों को भी नहीं मिले। पार्टियों, गठबंधनों की चुनावी कसरत के बीच रोजी-रोजगार से जूझता यह तबका कहता है...युवा हूं, हवा का रुख पलट सकता हूं। रोजी-रोजगार की बात इसलिए कि दोनों प्रमुख गठबंधन, युवाओं के इसी सवाल पर एक-दूसरे को घेर रहे हैं। जिसकी बातें नौजवानों के दिलो-दिमाग में गहरे समा गईं, हवा का रुख उसके पक्ष में वाकई पलट जाएगा।

आदिवासी से अधिक सामान्य सीटों पर बढ़े वोट...:रोजी-रोजगार और पढ़ाई के सवाल युवाओं के दिलो-दिमाग में गहरे समाए तो पलट जाएगा हवा का रुख
नौ सीटों में सात सामान्य हैं। यानी आदिवासी सीटों की तुलना में सामान्य सीटों पर ज्यादा वोट बढ़े। हुसैनाबाद के एनसीपी से जीते कमलेश सिंह, अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बिशुनपुर के झामुमो विधायक चमरा लिंडा, पार्टी से निलंबित हैं, अभी किसी दल में नहीं गए हैं। वे लोहरदगा से लोकसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ गए थे। इन 9 सीटों में इंडिया के पास तीन ही सीटें हैं। छह पर भाजपा और सहयोगी का कब्जा है। एसटी सीटों में बिशुनपुर में सबसे ज्यादा 20.14 प्रतिशत वोटर बढ़े हैं। पिछले चुनाव में यहां 47,204 मतदाता जुड़े हैं। वहीं, लोहरदगा विस सीट पर 17.50 प्रतिशत वोट की बढ़ोतरी हुई है। यानी इस बार 42,764 वोटर ज्यादा हैं। झामुमो: 2 लाख युवाओं को मिला रोजगार झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि भाजपा को बताना चाहिए कि राज्य बनने के बाद जेपीएससी 1 और 2 की नियुक्ति में हुआ घोटाला किसके कार्यकाल में हुए। आज भी सीबीआई जांच चल रही है। हेमंत सोरेन ने निजी क्षेत्रों में दो लाख से अधिक युवाओं को रोजगार दिया। लगभग एक लाख युवाओं को सरकारी पदों पर नौकरी दी। युवा फिर से हमें ही चुनेंगे। भाजपा: युवाओं को न नौकरी दी, न ही भत्ता भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने पूरे पांच साल युवाओं को ठगा है। न नौकरी दी, न ही बेरोजगारी भत्ता दिया। एक भी प्रतियोगी परीक्षा ठीक से नहीं हुई। सिर्फ पर्चे लीक होते रहे। अब इनका झूठ पकड़ में आ चुका है। युवा सरकार से काफी नाराज हैं। इस बार चुनाव में सबक सिखाएंगे। फेज-1 : जानिए...उन नौ विधानसभा सीटों का हाल जहां 5 साल में बढ़े 15 से 22%वोट, ये वोट 18 से 23 वर्ष के वोटरों के हैं रोजी-रोजगार पर एनडीए ‘इंडिया’ संविधान हर 18 साल पार युवा/युवती को वोटर मानता है। फेज-1 की 41 सीटों का हिसाब बताता है कि बीते 5 साल में 9 सीटों पर 15 से 22% वोटर बढ़े हैं। इनकी उम्र 18 से 23 वर्ष के बीच है। कई सीटों पर इस आयु वर्ग के युवा वोटरों की संख्या इतनी है, जितने वोट, जीतने वाले प्रत्याशियों को भी नहीं मिले। पार्टियों, गठबंधनों की चुनावी कसरत के बीच रोजी-रोजगार से जूझता यह तबका कहता है...युवा हूं, हवा का रुख पलट सकता हूं। रोजी-रोजगार की बात इसलिए कि दोनों प्रमुख गठबंधन, युवाओं के इसी सवाल पर एक-दूसरे को घेर रहे हैं। जिसकी बातें नौजवानों के दिलो-दिमाग में गहरे समा गईं, हवा का रुख उसके पक्ष में वाकई पलट जाएगा।