विधानसभा में आज भी बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव झाविमो के ही विधायक, पर बाहर एक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, तो दूसरा कांग्रेस नेता

बाबूलाल मरांडी प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं। कथित तौर पर प्रदीप यादव कांग्रेस विधायक दल के उप नेता हैं। जबकि सच्चाई है कि विधानसभा में दोनों तकनीकी तौर झाविमो के ही सदस्य हैं। यानी बतौर विधायक न तो बाबूलाल मरांडी भाजपाई हैं और न ही प्रदीप यादव कांग्रेसी। यह कहानी थोड़ी रहस्यमयी लगती है। कहानी की पटकथा विधानसभा चुनाव 2019 में आए नतीजों के बाद लिखी जाने लगी। 2019 में यूपीए आैर एनडीए से दूरी बनाकर चुनाव लड़ने वाले झाविमो के तीन लोग जीते थे। बाबूलाल मरांडी राजधनवार, बंधु तिर्की मांडर आैर प्रदीप यादव पोड़ैयाहाट से। मरांडी ने तब यूपीए सरकार का नेतृत्व करने वाले हेमंत सोरेन को अपना समर्थन दिया था। प्रदीप यादव को झाविमो विधायक दल का नेता बनाया। यहां तक तो सबकुछ ठीक-ठाक था। लेकिन इसके बाद कहानी में ट्विस्ट आया और घटनाक्रम तेजी से बदला। इधर, प्रदीप ने झाविमो का कांग्रेस में कर दिया विलय झाविमो के तत्कालीन विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने स्पीकर को एक आवेदन देकर अनुरोध किया कि झाविमो की केंद्रीय समिति की बैठक करने के बाद झाविमो का विलय कांग्रेस में कर दिया गया है। इस तरह से दो विधायक बंधु तिर्की आैर वे स्वयं अब कांग्रेस के विधायक हो गए हैं। इसलिए दोनों को कांग्रेस विधायक के रूप में विधानसभा में मान्यता दी जाए। मरांडी ने प्रदीप-बंधु को पार्टी से निकालने के बाद स्पीकर को सौंपा विलय का पत्र जनवरी 2020 में बाबूलाल मरांडी ने झाविमो से बंधु तिर्की आैर प्रदीप यादव को पार्टी विरोधी कार्यों के आरोप में निलंबित कर दिया। इसके कुछ ही दिनों बाद फरवरी 2020 में बाबूलाल मरांडी ने अचानक स्पीकर रबींद्र नाथ महतो को एक आवेदन दिया। जिसमें उन्होंने झाविमो का विलय भाजपा में करने का प्रमाण दिया। प्रमाण स्वरूप उन्होंने झाविमो की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक के मिनट्स की कॉपी सौंपी। जिसमें केंद्रीय समिति ने पार्टी का भाजपा में विलय का निर्णय लिया था। इसी आधार पर स्पीकर से अनुरोध किया कि उन्हें अब भाजपा विधायक के रूप में मान्यता दी जाए। फिर क्या हुआ....जब दोनों आवेदन स्पीकर के सामने विचार के लिए लाए गए तब स्पीकर ने इसमें विधिक राय ली आैर दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया। इसके बाद उन्होंने दोनों पक्षों के विरुद्ध दल-बदल का मामला दर्ज कर सुनवाई शुरू कर दी। कालांतर में दोनों पक्षों-बाबूलाल मरांडी आैर बंधु तिर्की व प्रदीप यादव पर अन्य लोगों ने भी दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग की। स्पीकर ने उनके न्यायाधिकरण में आए आवेदनों के आधार पर अन्य मामले भी दर्ज करने के आदेश दिए। स्पीकर के न्यायाधिकरण में सुनवाई का दौर शुरू हो गया। विधानसभा चुनाव घोषित हो गया, स्पीकर के न्यायाधिकरण का फैसला अब तक नहीं आया है। लिहाजा बाबूलाल मरांडी आज भी विधानसभा में झाविमो के विधायक हैं आैर प्रदीप यादव झाविमो विधायक दल के नेता। बंधु तिर्की की सदस्यता खत्म हो जाने से मांडर में उपचुनाव हुआ। उप चुनाव में बधु की बेटी कांग्रेस के टिकट पर जीतीं।

विधानसभा में आज भी बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव झाविमो के ही विधायक, पर बाहर एक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, तो दूसरा कांग्रेस नेता
बाबूलाल मरांडी प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं। कथित तौर पर प्रदीप यादव कांग्रेस विधायक दल के उप नेता हैं। जबकि सच्चाई है कि विधानसभा में दोनों तकनीकी तौर झाविमो के ही सदस्य हैं। यानी बतौर विधायक न तो बाबूलाल मरांडी भाजपाई हैं और न ही प्रदीप यादव कांग्रेसी। यह कहानी थोड़ी रहस्यमयी लगती है। कहानी की पटकथा विधानसभा चुनाव 2019 में आए नतीजों के बाद लिखी जाने लगी। 2019 में यूपीए आैर एनडीए से दूरी बनाकर चुनाव लड़ने वाले झाविमो के तीन लोग जीते थे। बाबूलाल मरांडी राजधनवार, बंधु तिर्की मांडर आैर प्रदीप यादव पोड़ैयाहाट से। मरांडी ने तब यूपीए सरकार का नेतृत्व करने वाले हेमंत सोरेन को अपना समर्थन दिया था। प्रदीप यादव को झाविमो विधायक दल का नेता बनाया। यहां तक तो सबकुछ ठीक-ठाक था। लेकिन इसके बाद कहानी में ट्विस्ट आया और घटनाक्रम तेजी से बदला। इधर, प्रदीप ने झाविमो का कांग्रेस में कर दिया विलय झाविमो के तत्कालीन विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने स्पीकर को एक आवेदन देकर अनुरोध किया कि झाविमो की केंद्रीय समिति की बैठक करने के बाद झाविमो का विलय कांग्रेस में कर दिया गया है। इस तरह से दो विधायक बंधु तिर्की आैर वे स्वयं अब कांग्रेस के विधायक हो गए हैं। इसलिए दोनों को कांग्रेस विधायक के रूप में विधानसभा में मान्यता दी जाए। मरांडी ने प्रदीप-बंधु को पार्टी से निकालने के बाद स्पीकर को सौंपा विलय का पत्र जनवरी 2020 में बाबूलाल मरांडी ने झाविमो से बंधु तिर्की आैर प्रदीप यादव को पार्टी विरोधी कार्यों के आरोप में निलंबित कर दिया। इसके कुछ ही दिनों बाद फरवरी 2020 में बाबूलाल मरांडी ने अचानक स्पीकर रबींद्र नाथ महतो को एक आवेदन दिया। जिसमें उन्होंने झाविमो का विलय भाजपा में करने का प्रमाण दिया। प्रमाण स्वरूप उन्होंने झाविमो की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक के मिनट्स की कॉपी सौंपी। जिसमें केंद्रीय समिति ने पार्टी का भाजपा में विलय का निर्णय लिया था। इसी आधार पर स्पीकर से अनुरोध किया कि उन्हें अब भाजपा विधायक के रूप में मान्यता दी जाए। फिर क्या हुआ....जब दोनों आवेदन स्पीकर के सामने विचार के लिए लाए गए तब स्पीकर ने इसमें विधिक राय ली आैर दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया। इसके बाद उन्होंने दोनों पक्षों के विरुद्ध दल-बदल का मामला दर्ज कर सुनवाई शुरू कर दी। कालांतर में दोनों पक्षों-बाबूलाल मरांडी आैर बंधु तिर्की व प्रदीप यादव पर अन्य लोगों ने भी दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग की। स्पीकर ने उनके न्यायाधिकरण में आए आवेदनों के आधार पर अन्य मामले भी दर्ज करने के आदेश दिए। स्पीकर के न्यायाधिकरण में सुनवाई का दौर शुरू हो गया। विधानसभा चुनाव घोषित हो गया, स्पीकर के न्यायाधिकरण का फैसला अब तक नहीं आया है। लिहाजा बाबूलाल मरांडी आज भी विधानसभा में झाविमो के विधायक हैं आैर प्रदीप यादव झाविमो विधायक दल के नेता। बंधु तिर्की की सदस्यता खत्म हो जाने से मांडर में उपचुनाव हुआ। उप चुनाव में बधु की बेटी कांग्रेस के टिकट पर जीतीं।