क्या NDA से अलग होंगे पशुपति पारस:गठबंधन की मीटिंग में नहीं बुलाने के बाद पार्टी बोली- देखेंगे NDA के साथ लड़ेंगे या I.N.D.I.A के

सोमवार को पटना में सीएम आवास में NDA की बैठक हुई, मुद्दा था सहयोगी दलों में कॉओर्डिनेशन बिठाना, लेकिन जिस पार्टी की गठबंधन से सबसे ज्यादा नाराजगी है, वो ही इस मीटिंग से दूर रही। उन्हें बैठक में बुलाया ही नहीं गया। बात हो रही है राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की। जिसके अध्यक्ष पशुपति पारस को इस मीटिंग में नजरअंदाज किया गया। BJP ने तो उन्हें नहीं ही बुलाया, नीतीश कुमार ने भी भाजपा का मन देखते हुए दूरी बना ली है। बदली राजनीति में चिराग पासवान, PM नरेंद्र मोदी और CM नीतीश कुमार दोनों का गुणगान कर रहे हैं। कभी नीतीश के विरोधी रहे चिराग आज उनके लिए भारत रत्न की मांग तक कर रहे हैं। खुद को NDA का हिस्सा मान रही पारस की पार्टी ने NDA की बैठक के बाद आपात बैठक बुलाई, जहां पार्टी को पंचायत लेवल तक मजबूत करने को कहा गया। बैठक में बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपनी ताकत मजबूत करने की बात हुई। समय पर फैसला लिया जाएगा कि राष्ट्रीय लोजपा विधानसभा चुनाव अकेले लड़े या फिर किसी और के साथ। जानिए कैसे केंद्रीय मंत्री रहे पशुपति पारस धीरे-धीरे NDA में नजर अंदाज होते चले गए और आगे क्या होगी पार्टी की रणनीति... पारस को हाजीपुर भी नहीं, जबकि चिराग को 5 सीट पशुपति पारस की पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान ही हाशिए पर जाती दिखी। पारस से बीजेपी ने किनारा किया। हाजीपुर सीट को लेकर चिराग और पारस के बीच तनातनी हो गई। यह सीट रामविलास पासवान की सीट हुआ करती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर से पशुपति पारस जीते थे। 2024 के चुनाव में चिराग अड़ गए कि वो उसी सीट से चुनाव लडे़ंगे। दूसरी तरफ पशुपति भी अड़ गए। आखिरकार हुआ यही कि चिराग पासवान यहां से चुनाव लड़े और जीते भी। चिराग इससे पहले जमुई से सांसद थे। NDA में पांच सीटें चिराग पासवान की पार्टी को चुनाव लड़ने को मिली। सभी पांचों सीटों पर लोजपा रामविलास पार्टी के उम्मीदवार जीते। दूसरी तरफ चाचा पारस को एक भी सीट लड़ने के लिए नहीं मिली। वो निर्दलीय लड़ने का साहस भी नहीं दिखा सके। इंतजार के बाद लिखा- हमारी पार्टी NDA की अभिन्न अंग पारस ने 19 मार्च को केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नाराजगी भी जाहिर की थी। तब यह लगा था कि पारस, लोकसभा चुनाव में बड़ा फैसला लेंगे और अपने उम्मीदवार उतारेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मंत्री पद से इस्तीफे के बाद बिहार आकर वो इंतजार करने लगे कि महागठबंधन उनकी तरफ हाथ बढ़ाएगा। ऐसा नहीं हुआ, जिसके बाद पारस ने एक्स पर लिखा कि हमारी पार्टी NDA की अभिन्न अंग है। पारस कह चुके हैं, बीजेपी ने धोखा दिया पशुपति पारस बोल चुके हैं कि पार्टी को उचित सम्मान नहीं मिला, तो राज्य की सभी 243 सीटों पर हमारी पार्टी चुनाव लड़ेगी। पटना में 29 सितंबर को आयोजित दलित सेना कार्यक्रम में उन्होंने ये बातें कही थी। लोकसभा चुनाव के समय पारस ने NDA में सीट बंटवारे से दुखी होकर कहा था कि भाजपा ने धोखा दिया है। हालांकि नीतीश कुमार या JDU के खिलाफ पारस ने अब तक ऐसा बयान नहीं दिया है। उपचुनाव में तरारी सीट मांगी थी, नहीं मिली पारस ने हाल के दिनों में तरारी उपचुनाव में टिकट के लिए भाजपा पर दबाव बनाया था। भाजपा ने उनकी पार्टी को टिकट देने के बजाय पूर्व विधायक सुनील पांडेय और उनके बेटे विशाल प्रशांत को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। इसके बाद विशाल प्रशांत को तरारी विधानसभा उपचुनाव में टिकट दे दिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में तरारी से निर्दलीय सुनील पांडेय को माले के सुदामा प्रसाद ने हरा दिया था। सिर्फ 1,100 वोट से सुनील पांडेय की हार हुई थी। भाजपा के कौशल विद्यार्थी तीसरे नंबर पर रहे थे। अब ऑफिस के लिए मिले बंगले को खाली करने का अल्टीमेटम अब पशुपति पारस की पार्टी से पटना वन व्हीलर रोड, शहीद पीर अली खान मार्ग आवास खाली करने को कहा गया है। 8 जुलाई को एक आदेश जारी कर चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को इसे अलॉट कर दिया गया है। इसके बाद भी पशुपति पारस ने आवास खाली नहीं किया है। भवन निर्माण विभाग ने 30 जून 2006 को इस आवास को लोक जनशक्ति पार्टी को अलॉट किया था। तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान थे। विधानसभा चुनाव 2020 के बाद दो फाड़ हो गई थी लोजपा पारस की कहानी उसी समय से शुरू हो गई थी, जब चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव 2020 के समय 30 से अधिक सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी JDU को नुकसान पहुंचाया था। नीतीश कुमार की पार्टी ने जहां 2015 में 71 सीट हासिल किया था, वहीं 2020 में 43 सीटों पर सिमट गई। यह अलग बात है कि चिराग पासवान की पार्टी 131 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए महज एक सीट जीत पाई थी। हालांकि 9 सीटों पर लोजपा दूसरे स्थान पर रही थी। दरअसल, विधानसभा चुनाव के बाद रामविलास पासवान की पार्टी दो फाड़ हो गई। माना यही गया कि नीतीश कुमार ने लोजपा से बदला ले लिया। रामविलास पासवान के समय जो पटना में लोजपा को कार्यालय मिला था, वह पशुपति पारस की पार्टी को नीतीश सरकार ने अलॉट करवा दिया। अभी लोजपा रामविलास के सुप्रीमो चिराग पासवान हैं और राष्ट्रीय लोजपा के सुप्रीमो चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस। पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और सूरजभान सिंह के भाई पूर्व सांसद चंदन सिंह अभी भी पारस गुट में हैं। NDA की बैठक के बाद पशुपति पारस कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। उनकी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल से भास्कर ने बात की। सवाल- NDA की महत्वपूर्ण बैठक में पशुपति पारस को क्यों नहीं बुलाया गया ? जवाब- नेता जब बैठक से बाहर आ रहे थे, तब मीडिया से यही कह रहे थे कि पारस NDA के हिस्सा हैं। NDA की सभी पार्टियों को बैठक में बुलाना और राष्ट्रीय लोजपा को नहीं बुलाया जाना आश्चर्यजनक है। सवाल- लोकसभा चुनाव में आपकी पार्टी को टिकट क्यों नहीं दिया गया ? जवाब- कहा जा रहा था कि आपकी पार्टी में 5 सांसद हैं, सम्मान दिया जाएगा। लोकसभा में टिकट नहीं देते हुए अंत में एक भी सीट नहीं दी गई। कहा गया कि विधानसभा चुनाव

क्या NDA से अलग होंगे पशुपति पारस:गठबंधन की मीटिंग में नहीं बुलाने के बाद पार्टी बोली- देखेंगे NDA के साथ लड़ेंगे या I.N.D.I.A के
सोमवार को पटना में सीएम आवास में NDA की बैठक हुई, मुद्दा था सहयोगी दलों में कॉओर्डिनेशन बिठाना, लेकिन जिस पार्टी की गठबंधन से सबसे ज्यादा नाराजगी है, वो ही इस मीटिंग से दूर रही। उन्हें बैठक में बुलाया ही नहीं गया। बात हो रही है राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की। जिसके अध्यक्ष पशुपति पारस को इस मीटिंग में नजरअंदाज किया गया। BJP ने तो उन्हें नहीं ही बुलाया, नीतीश कुमार ने भी भाजपा का मन देखते हुए दूरी बना ली है। बदली राजनीति में चिराग पासवान, PM नरेंद्र मोदी और CM नीतीश कुमार दोनों का गुणगान कर रहे हैं। कभी नीतीश के विरोधी रहे चिराग आज उनके लिए भारत रत्न की मांग तक कर रहे हैं। खुद को NDA का हिस्सा मान रही पारस की पार्टी ने NDA की बैठक के बाद आपात बैठक बुलाई, जहां पार्टी को पंचायत लेवल तक मजबूत करने को कहा गया। बैठक में बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपनी ताकत मजबूत करने की बात हुई। समय पर फैसला लिया जाएगा कि राष्ट्रीय लोजपा विधानसभा चुनाव अकेले लड़े या फिर किसी और के साथ। जानिए कैसे केंद्रीय मंत्री रहे पशुपति पारस धीरे-धीरे NDA में नजर अंदाज होते चले गए और आगे क्या होगी पार्टी की रणनीति... पारस को हाजीपुर भी नहीं, जबकि चिराग को 5 सीट पशुपति पारस की पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान ही हाशिए पर जाती दिखी। पारस से बीजेपी ने किनारा किया। हाजीपुर सीट को लेकर चिराग और पारस के बीच तनातनी हो गई। यह सीट रामविलास पासवान की सीट हुआ करती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर से पशुपति पारस जीते थे। 2024 के चुनाव में चिराग अड़ गए कि वो उसी सीट से चुनाव लडे़ंगे। दूसरी तरफ पशुपति भी अड़ गए। आखिरकार हुआ यही कि चिराग पासवान यहां से चुनाव लड़े और जीते भी। चिराग इससे पहले जमुई से सांसद थे। NDA में पांच सीटें चिराग पासवान की पार्टी को चुनाव लड़ने को मिली। सभी पांचों सीटों पर लोजपा रामविलास पार्टी के उम्मीदवार जीते। दूसरी तरफ चाचा पारस को एक भी सीट लड़ने के लिए नहीं मिली। वो निर्दलीय लड़ने का साहस भी नहीं दिखा सके। इंतजार के बाद लिखा- हमारी पार्टी NDA की अभिन्न अंग पारस ने 19 मार्च को केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नाराजगी भी जाहिर की थी। तब यह लगा था कि पारस, लोकसभा चुनाव में बड़ा फैसला लेंगे और अपने उम्मीदवार उतारेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मंत्री पद से इस्तीफे के बाद बिहार आकर वो इंतजार करने लगे कि महागठबंधन उनकी तरफ हाथ बढ़ाएगा। ऐसा नहीं हुआ, जिसके बाद पारस ने एक्स पर लिखा कि हमारी पार्टी NDA की अभिन्न अंग है। पारस कह चुके हैं, बीजेपी ने धोखा दिया पशुपति पारस बोल चुके हैं कि पार्टी को उचित सम्मान नहीं मिला, तो राज्य की सभी 243 सीटों पर हमारी पार्टी चुनाव लड़ेगी। पटना में 29 सितंबर को आयोजित दलित सेना कार्यक्रम में उन्होंने ये बातें कही थी। लोकसभा चुनाव के समय पारस ने NDA में सीट बंटवारे से दुखी होकर कहा था कि भाजपा ने धोखा दिया है। हालांकि नीतीश कुमार या JDU के खिलाफ पारस ने अब तक ऐसा बयान नहीं दिया है। उपचुनाव में तरारी सीट मांगी थी, नहीं मिली पारस ने हाल के दिनों में तरारी उपचुनाव में टिकट के लिए भाजपा पर दबाव बनाया था। भाजपा ने उनकी पार्टी को टिकट देने के बजाय पूर्व विधायक सुनील पांडेय और उनके बेटे विशाल प्रशांत को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। इसके बाद विशाल प्रशांत को तरारी विधानसभा उपचुनाव में टिकट दे दिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में तरारी से निर्दलीय सुनील पांडेय को माले के सुदामा प्रसाद ने हरा दिया था। सिर्फ 1,100 वोट से सुनील पांडेय की हार हुई थी। भाजपा के कौशल विद्यार्थी तीसरे नंबर पर रहे थे। अब ऑफिस के लिए मिले बंगले को खाली करने का अल्टीमेटम अब पशुपति पारस की पार्टी से पटना वन व्हीलर रोड, शहीद पीर अली खान मार्ग आवास खाली करने को कहा गया है। 8 जुलाई को एक आदेश जारी कर चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को इसे अलॉट कर दिया गया है। इसके बाद भी पशुपति पारस ने आवास खाली नहीं किया है। भवन निर्माण विभाग ने 30 जून 2006 को इस आवास को लोक जनशक्ति पार्टी को अलॉट किया था। तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान थे। विधानसभा चुनाव 2020 के बाद दो फाड़ हो गई थी लोजपा पारस की कहानी उसी समय से शुरू हो गई थी, जब चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव 2020 के समय 30 से अधिक सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी JDU को नुकसान पहुंचाया था। नीतीश कुमार की पार्टी ने जहां 2015 में 71 सीट हासिल किया था, वहीं 2020 में 43 सीटों पर सिमट गई। यह अलग बात है कि चिराग पासवान की पार्टी 131 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए महज एक सीट जीत पाई थी। हालांकि 9 सीटों पर लोजपा दूसरे स्थान पर रही थी। दरअसल, विधानसभा चुनाव के बाद रामविलास पासवान की पार्टी दो फाड़ हो गई। माना यही गया कि नीतीश कुमार ने लोजपा से बदला ले लिया। रामविलास पासवान के समय जो पटना में लोजपा को कार्यालय मिला था, वह पशुपति पारस की पार्टी को नीतीश सरकार ने अलॉट करवा दिया। अभी लोजपा रामविलास के सुप्रीमो चिराग पासवान हैं और राष्ट्रीय लोजपा के सुप्रीमो चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस। पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और सूरजभान सिंह के भाई पूर्व सांसद चंदन सिंह अभी भी पारस गुट में हैं। NDA की बैठक के बाद पशुपति पारस कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। उनकी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल से भास्कर ने बात की। सवाल- NDA की महत्वपूर्ण बैठक में पशुपति पारस को क्यों नहीं बुलाया गया ? जवाब- नेता जब बैठक से बाहर आ रहे थे, तब मीडिया से यही कह रहे थे कि पारस NDA के हिस्सा हैं। NDA की सभी पार्टियों को बैठक में बुलाना और राष्ट्रीय लोजपा को नहीं बुलाया जाना आश्चर्यजनक है। सवाल- लोकसभा चुनाव में आपकी पार्टी को टिकट क्यों नहीं दिया गया ? जवाब- कहा जा रहा था कि आपकी पार्टी में 5 सांसद हैं, सम्मान दिया जाएगा। लोकसभा में टिकट नहीं देते हुए अंत में एक भी सीट नहीं दी गई। कहा गया कि विधानसभा चुनाव में पूरा सम्मान दिया जाएगा। सवाल- विधानसभा उपचुनाव में तरारी सीट आप लोग मांग रहे थे, नहीं मिला? जवाब- हम चाहते थे कि सुनील पांडेय को तरारी से टिकट मिले, लेकिन कहा गया कि जो पार्टी लड़ी थी वही लडे़गी। हमारे नेता ने कहा कि भाजपा अगर आपको टिकट देती है तो आप उसमें शामिल हो सकते हैं। सवाल- आप लोगों को पार्टी कार्यालय भी खाली करने को कहा गया है ? जवाब- लगातार हम लोगों की अनदेखी की जा रही है। भवन निर्माण विभाग की गाइडलाइन के विपरीत एक खास पार्टी के नेता के इशारे पर यह फैसला लिया गया है। सवाल- जदयू और भाजपा के पावर वार के बीच आपकी पार्टी पीस रही है ? जवाब- इस पर हम कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन बैठक में नहीं बुलाना आश्चर्यजनक है। इसे तो भाजपा और जदयू को स्पष्ट करना चाहिए। सवाल- विधानसभा चुनाव में आप लोग क्या करेंगे? जवाब- पशुपति पारस कल से ही पटना में हैं, लेकिन उन्हें NDA की बैठक में नहीं बुलाया गया। राष्ट्रीय लोजपा ने NDA की बैठक के बाद अपनी कोर कमेटी की आपात बैठक बुलाई। सूरजभान सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में पशुपति पारस, पूर्व सांसद प्रिंस राज, पूर्व सांसद चंदन राज मौजूद रहे। बैठक में तय हुआ कि पार्टी को मजबूत करना है। पंचायत तक खड़ा करना है। छठ के बाद हर जिले में कार्यकर्ता सम्मेलन किया जाएगा। सदस्यता अभियान चलाना है। सभी 243 सीटों पर ताकत मजबूत करनी है। पटना में नवंबर माह में पंचायत स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की जाएगी। फैसला लिया जाएगा कि राष्ट्रीय लोजपा विधानसभा चुनाव अकेले लड़े या फिर किसी और के साथ। सवाल- आप अकेले भी लड़ सकते हैं क्या? जवाब- जमाना गठबंधन का है। भाजपा-जदयू भी अकेले नहीं लड़ती। हम देखेंगे कि NDA के साथ लड़ेंगे या किसी और गठबंधन के साथ। सवाल- क्या चिराग पासवान का प्रभाव NDA में ज्यादा हो गया है ? जवाब- प्रिंस राज से विनोद तावड़े की मुलाकात तीन दिन पहले हुई थी। हमारे पांच सांसदों ने NDA की मजबूती के लिए अपनी कुर्बानी दी, जो चिराग पासवान विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को जेल भेजने की बात कर रहे थे, सात निश्चय की जांच कराने की बात कर रहे थे। वही अब नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं। 2020 में पशुपति पारस ने नीतीश कुमार को विकास पुरुष कहा और यहीं से पार्टी लोजपा टूटी।